Govardhan

गोवर्धन ब्रजमंडल के उन 6 गावों ( गोकुल,मथुरा,वृंदावन,बरसना,नंदगाँव, गोवर्धन) में से एक है जहाँ श्री कृष्ण की बाल लीला का साक्षी होने का प्रमाण कलयुग में आज भी जीवित है |

हमारे सनातन के पुराणों में सबसे प्रतिष्ठित और प्राचीन श्री मद भागवत पुराण और विष्णु पुराण में गोवर्धन पर्वत का वर्णन है | द्वापर युग में इंद्र ने अहंकार में आकर अपने प्रकोप से समस्त ब्रजमंडल को डुबाने का संकल्प लिया | श्री कृष्ण ने समस्त ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए और वर्षा की धारा को रोकने के लिए, उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उँगली पर उठा लिया | तभी से श्री कृष्ण को और गोवर्धन पर्वत को श्री गिरिराज जी महाराज के नाम से भी जानते हैं | यहाँ प्रभु की पूजा दुग्ध के अभिषेक से की जाती है |

unknown facts :-  सभी भक्तजन यहाँ दूर दूर से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने को आते हैं | यह परिक्रमा दिन रात चालू रहती है | यह लगभग 7 कोष की परिक्रमा है जोकि 21 किलोमीटर की है |  और यहीं पर श्री कृष्ण के मन से उत्पन्न हुई मानसी गंगा का भक्तगण स्नान एवं दर्शन करते हैं | इसी गोवर्धन पर्वत से श्री कृष्ण 700 किलोमीटर का सफ़र तय करके राजस्थान में वैष्णव सम्प्रदाय में प्रसिद्ध श्री नाथ जी मंदिर जोकि उदयपुर के पास स्थित है जाया करते थे जिसकी प्राचीन गुफा आज भी गोवर्धन के गाँव जतीपुरा में पाई जाती है | कहा जाता है कि श्री कृष्ण की मंगला तो नाथद्वारा में होती है और सयन जतीपुरा में होता है |

Govardhan is one of those 6 villages of Braj Mandal (Gokul, Mathura, Vrindavan, Barsana, Nandgaon, Govardhan) where the proof of witnessing the childhood leela of Shri Krishna is still alive in Kaliyug.

 

In our Sanatan Purana, the most revered and ancient Shrimad Bhagwat Purana and Vishnu Purana has described Govardhan mountain. In Dwapar Yuga, Indra, out of arrogance, resolved to submerge the entire Braj Mandal with his wrath. To protect all the Brajvasi and to stop the flow of rain, Shri Krishna lifted Govardhan mountain on his little finger. Since then, Shri Krishna and the Govardhan mountain is also known as Shri Giriraj Ji Maharaj. Here the Lord is worshipped by the Abhishek of milk.

 

Unknown facts: – All the devotees come here from far and wide to traverse around (circumambulate) the Govardhan mountain. This circumambulation is of  7 Kos which is about 21 kilometers which continues day and night. And it is here that the devotees bathe and do darshan of the Manasi Ganga that originated from the mind of Shri Krishna. From Govardhan mountain, Shri Krishna used to travel a distance of 700 kilometers to go Nathdwara where the now Shri Nathji temple, famous in the Vaishnav community is located near Udaipur, Rajasthan. That ancient cave is still found in Jatipura village of Govardhan. It is said that Shri Krishna’s Mangala  happens in Nathdwara and Sayan happens in Jatipura.

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