Mathura

यह स्थान भगवान श्री कृष्ण के जन्मःस्थान के नाम से जाना जाता है जहाँ पर श्री नारायण ने देवकी के गर्भ से 8 वें पुत्र के रूप में जन्म लिया था | जहाँ उनकी माता देवकी और पिता वासुदेव को कंश के द्वारा बंदी बनाकर इस स्थान पर कारावास में रखा गया था |

श्री नारायण ने वासुदेव को अपने बाल अवतार श्री कृष्ण को शीघ्र ही गोकुल के राजा नंदबाबा के घर ले जाने का एवं वहां से छोटी कन्या ( माता योगमाया ) को लाने का आदेश दिया और श्री कृष्ण को गोकुल ले जाने की प्रक्रिया नारायण के आदेश से माता योगमाया के द्वारा रची गयी जिन्होंने बंदीग्रह के सातों दरवाजों को खोला और सभी पहरेदारों को अपनी माया से सुला दिया और वासुदेव श्री कृष्ण को टोकरी में रखकर गोकुल की ओर प्रस्थान कर गए जहाँ प्रभु ने अपनी समस्त बाल लीलाएं 11 वर्ष 52 दिन गोकुल में रहकर की थीं |

This place is known as the birthplace of Lord Shri Krishna where Shri Hari Narayan was born as the 8th son from the womb of Devaki. Here his mother Devaki and father Vasudev were imprisoned by Kansa.

Shri Narayan ordered Vasudev to take his child incarnation Shri Krishna to the house of King Nand baba of Gokul as soon as possible and bring a girl child (Mata Yogmaya) from there. The process of taking Shri Krishna to Gokul was planned by Mata Yogmaya on the orders of Narayan, Mata Yogmaya opened the seven doors of the prison and put all the guards to sleep with her magic. Vasudev placed Shri Krishna in a basket and left for Gokul where  Shri Krishna performed all his Baal Lilayein by staying there for 11 years and 52 days.

Unknown facts :-

 श्री हरी विष्णु त्रेता युग में मनुष्य रूप धारण कर भगवन श्री राम के रूप में पधारे जहाँ उनके छोटे भाई लक्ष्मण बने | लक्ष्मण छोटे भाई होने के नाते अपने बड़े भाई श्री राम के आदेश और सेवा के प्रति एकाग्र थे जबकि दोनों का व्यवहार एक दुसरे से भिन्न था | श्री राम सात्विक प्रवृत्ति के थे जबकि लक्ष्मण उग्र प्रवृत्ति के थे |

       तामसिक प्रवृत्ति में आकर लक्ष्मण ने अपने भाई श्री राम से द्वापर युग में अपने को ज्येष्ठ भ्राता होने का वर माँगा जिसे प्रभु श्री राम ने सहज रूप से स्वीकार किया | जिसके फलस्वरूप माता देवकी की सातवीं संतान भगवान् बलराम बने | बलराम जी को माता योगमाया ने संकर्षण विधि द्वारा देवकी के गर्भ से निकाल कर गोकुल में रह रही रोहिणी के गर्भ में भेज दिया जहाँ बलराम जी का पहला नाम संकर्षण पड़ा |

 

Sri Hari Vishnu came in the form of Lord Shri Ram in the Treta Yug in human form where Lord Balraam became his younger brother “Lakshman”. Being the younger brother, Lakshman was focused on serving his elder brother Shri Ram, although their behavior was different from each other. Shri Ram was of Satvik nature while Lakshman was of fierce nature.

Being of Tamasik nature, Lakshman asked his brother Shri Ram for the “vardaan” of being reincarnated as the elder brother in Dwapar Yug, which Lord Shri Ram readily accepted. As a result, the seventh child of Mata Devaki became Lord Balram. Mata Yogmaya took Balram out of Devaki’s womb through Sankarshan method and sent him to the womb of Rohini living in Gokul, where Balram’s first name became Sankarshan.

 

 

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